भारत में ऐसा कहा जाता है की यह देश किसान और जवान के कंधो के बल पर ही टिका हुआ है। इसलिए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने “जय जवान जय किसान” का नारा भी दिया था। आज हम आपको एक ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे है जो दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा सकता था। उसने आज ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसे करना हर किसी के बस में नहीं है। आईये इस किसान की कहानी को विस्तार से जानते है। यह घटना है असम की। यहाँ सोबरन नामक किसान ठेले पर सब्जी बेचकर अपना गुजारा किया करता था। लेकिन उसने आज अपनी बेटी को पढ़ा-लिखाकर लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करवा दी है। उसकी बेटी को इस परीक्षा में पास होकर पोस्टिंग भी मिल चुकी है।
सोबरन ने मिडिया को बताया की जब वह 30 साल का था उन दिनों उसने सब्जी बेचना शुरू किया था। उस समय उसे एक कूड़े में लड़की के रोने की आवाज सुनाई दी थी। इस आवाज को सुनकर सोबरन उसके पास चला गया। जहाँ उसे पता चला की कूड़े में कोई एक लड़की को छोड़ गया है। उस लड़की को सोबरन ने उठाकर गले से लगा लिया।
उस समय सोबरन की शादी भी नहीं हुई थी। इसलिए उसने हमेशा कुंवारा रहने का फैसला किया। इसके बाद उसने लड़की का नाम ज्योति रखा। उसे पाल पोसकर बड़ा किया। ज्योति ने 2013 में कंप्यूटर साइंस से ग्रेजुएशन की। इसके बाद ज्योति ने लोक सेवा आयोग की कठिन परीक्षा भी पास कर ली। 25 साल की ज्योति ने यह साबित कर दिया की कूड़े से उठाकर उसके पापा ने कोई भी गलती नहीं की है। उसके पिता ने जो किया वह ठीक किया।
जबकि सोबरन का कहना है की उसे उस दिन कूड़े में कोई लड़की नहीं मिली थी। बल्कि उसे एक हिरा मिला था। जो आज उसकी बुढ़ापे की लाठी बन चुकी है। मैने जब ज्योति को गोद लिया था तो मुझे समाज में काफी बदनामी झेलनी पड़ी थी। जो हर कोई व्यक्ति नहीं सह सकता है। मुझे आज खुशी है की मेरी बेटी ऐसे मुकाम तक पहुंच गयी है।
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