वैसे तो ये दोनों नेता और उनकी पार्टी इस वक्त एनडीए के हिस्सा हैं लेकिन इनका इतिहास काफी ढुलमुल रहा है. बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी बड़ी जीत हासिल करने की ओर बढ़ रही है. उसने राज्य में 16 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसमें से वह 14 पर आगे चल रही है. 17 सीटों पर चुनाव जीतने वाली भाजपा केवल 12 सीटों पर आगे है.
दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश में कुल 25 सीटों में से एनडीए 22 पर आगे चल रही है. हालांकि इसमें से 16 पर अकेले टीडीपी है. यह टीडीपी वही पार्टी है जिसके नेता चंद्रबाबू नायडू 2019 के चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार के खिलाफ गठबंधन की अगुवाई कर रहे थे. हालांकि इससे पहले चंद्रबाबू नायडू अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में एनडीए के हिस्सा रह चुके हैं.
ये दोनों ऐसे नेता हैं जो कई भाजपा के मौजूदा नेतृत्व के साथ सहज नहीं रहे हैं. लेकिन, कहा जा सकता है कि राजनीतिक मजबूरी में ये एनडीए के साथ आए थे. अब जबकि भाजपा कमजोर होती दिख रही है तो ऐसे में ये दोनों अपने लिए अवसर की तलाश कर सकते हैं. इनके पास मोलभाव करने की बड़ी ताकत आ गई है. जो कहते थे कि बिहार में बार-बार पलटी मारने वाले नीतीश के लिए यह वजूद बचाने की लड़ाई थी लेकिन रूझानों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि नीतीश एक बड़े राजनीतिक खिलाड़ी हैं.
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