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बकरीद में ऊँटों की कुर्बानी? मजहब के लिए राजस्थान के दुर्लभ-संरक्षित प्रजाति निशाने पर क्यों??

  

बिहार के गोपालगंज जिले में ऊँटों की तस्करी के रैकेट का खुलासा हुआ है। मंगलवार (11 जून 2024) को पुलिस ने एक ट्रक में भर कर ले जा रहे 19 ऊँटों को जीवित बरामद किया है। इन ऊँटों की कीमत लगभग 30 लाख रुपए आँकी जा रही है। ऊँटों के साथ 4 तस्कर भी गिरफ्तार किए गए हैं। तस्करों में 2 के नाम जुनैद खान हैं। बाकि 2 अन्य के नाम शाहनवाज और साहिल हैं। इनमें से जुनैद खान और साहिल हरियाणा के मेवात से हैं। पुलिस मामले की जाँच कर रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घटना गोपालगंज के नगर थानाक्षेत्र की है। मंगलवार को यहाँ के अरार मोड़ पर DSP स्वर्ण प्रभात अपनी पुलिस टीम के साथ चेकिंग कर रहे थे। इसी दौरान एक ट्रक को रोक कर तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान ट्रक से 19 ऊँट बरामद हुए हैं।

बरामद किए गए ये ऊँट दुर्लभ प्रजाति के हैं। इन्हें राजस्थान सरकार द्वारा संकटग्रस्त प्रजाति घोषित किया गया है। इनके संरक्षण के भी प्रयास जारी हैं। पुलिस ने ट्रक को कब्ज़े में ले लिया। ट्रक के साथ मथुरा के रहने वाले जुनैद और शाहनवाज के साथ नूहं मेवात के निवासी जुनैद खान और साहिल को गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस की पूछताछ में इन आरोपितों ने ऊँटों की तस्करी की बात कबूली है। इन्होंने बतया कि वो ऊँटों को राजस्थान से बिहार के मुजफ्फरपुर ले जा रहे थे। मुजफ्फरपुर से इन्हें किसी और शहर में भेजा जाना था। ऊँटों को बड़ी बेरहमी से एक के ऊपर एक ठूँस कर रखा गया था।

छुड़ाने के बाद पुलिसकर्मियों ने ऊँटों के लिए चारे और पानी की भी व्यवस्था करवाई। अब पुलिस इस बात की भी जाँच कर रही है कि ऊँटों के ये तस्कर पिछले तमाम बैरियर पार करके बेरोकटोक गोपालगंज तक कैसे पहुँच गए?

गोपालगंज के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इन ऊँटों की कीमत लगभग 30 से 40 लाख रूपयों के बीच है। इन सभी को सुरक्षित स्थान पर रखवाया गया है। पकड़े गए तस्करों से पूछताछ करके उनके नेटवर्क से जुड़े अन्य लोग भी खँगाले जा रहे।

बकरीद में होती है ऊँटों की कुर्बानी

बताते चलें कि आने वाले 16-17 जून को मुस्लिमों के बकरीद (ईद उल अजहा) का त्यौहार है। इस त्यौहार में बड़े पैमाने पर जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। कई मौकों पर ऊँटों की कुर्बानी के केस भी सामने आए हैं। ऊँट की कीमत उनके वजन के हिसाब से तय होती है।

9 साल पहले वाराणसी के मदनपुरा इलाके में ऊँट की कुर्बानी की खबर काफी प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी। मुस्लिम तबका इसे ब्रिटिश काल की परम्परा बताता है। बाद में प्रशासन ने ऊँट की कुर्बानी पर रोक लगाई तो मुस्लिमों ने इस आदेश का विरोध किया था। तब हालात इतने तनावपूर्ण हो गए थे कि फ़ोर्स लगानी पड़ी थी।

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