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शादीशुदा महिलाओं के इस अंग के आगे घुटने टेकते है मर्द, जरुर होनी चाहिए कुंवारे लोगों को जानकारी

 

शास्त्रों में स्त्री को शक्ति का स्वरूप माना गया है। वह केवल परिवार और समाज के निर्माण में ही नहीं बल्कि उसकी रक्षा और संवारने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन चाणक्य ने महिलाओं की सबसे बड़ी शक्ति के बारे में विशेष रूप से बताया है। उन्होंने एक श्लोक के जरिए महिलाओं के अलावा ब्राह्मण और राजा (लीडर) की सबसे बड़ी ताकत का जिक्र किया है।

चाणक्य की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने स्त्रियों ब्राह्मणों और राजाओं की शक्तियों का विश्लेषण कर हमें यह समझाया है कि इनकी वास्तविक शक्ति क्या है और यह कैसे समाज और परिवार को प्रभावित करती है। उनकी शिक्षाएं न केवल प्राचीन समय में बल्कि आज के आधुनिक युग में भी मार्गदर्शन का स्रोत हैं।

मधुर वाणी

चाणक्य कहते हैं कि महिलाओं की सबसे बड़ी ताकत उनकी मधुर वाणी होती है। यह गुण उन्हें हर किसी का दिल जीतने में मदद करता है। मधुर वाणी के जरिए स्त्रियां हर किसी को अपना मुरीद बना लेती हैं। मधुर बोलने वाली स्त्री का हर जगह सम्मान होता है और इस गुण के कारण वह अपने परिवार और समाज में उच्च स्थान प्राप्त करती है।

शारीरिक सुंदरता और मधुर वाणी

चाणक्य ने महिलाओं के सौंदर्य को भी उनकी शक्ति बताया है लेकिन उनका मानना है कि मधुर वाणी के आगे शारीरिक सुंदरता को कम आंका जाता है। यह उचित भी है क्योंकि मधुर वाणी के दम पर स्त्रियां अपने कुल का मान बढ़ाती हैं और घर की कई पीढ़ियों को अच्छे संस्कार देती हैं। मधुर वाणी के कारण ही स्त्रियों का सम्मान होता है और वे समाज में अपनी विशेष पहचान बनाती हैं।

ब्राह्मण की शक्ति

चाणक्य के अनुसार ब्राह्मण का ज्ञान ही उसकी सबसे बड़ी ताकत और पूंजी है। ब्राह्मण समाज में अपने ज्ञान के दम पर पद और प्रतिष्ठा पाता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ज्ञान न सिर्फ ब्राह्मण बल्कि हर व्यक्ति की शक्ति होती है। विपरीत हालातों में ज्ञान ही वह शक्ति है जो संकटों से उबारने में मदद करती है। ज्ञान के बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा है और ज्ञान के माध्यम से ही समाज का उत्थान होता है।

राजा की शक्ति

राजा का लंबे समय तक सत्ता में रहना उसके स्वंय के बाहुबल पर निर्भर करता है। राजा के पास तमाम मंत्री-संत्री होते हैं बावजूद इसके अगर राजा दुर्बल है तो वह ज्यादा दिन तक राजगद्दी पर नहीं टिक सकता। राजा स्वंय शक्तिशाली होगा तो अपने शासन को भी ठीक तरीके से चला पाएगा। लीडर के तौर पर समझें तो जब तक लीडर मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूत नहीं होगा तो न ही मैनेजमेंट ठीक होगा और न ही संस्थान तरक्की कर पाएगा।

नेता की शक्ति

राजा या लीडर के तौर पर उसकी मानसिक और शारीरिक मजबूती बेहद जरूरी है। अगर लीडर मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत होगा तो वह अपनी टीम को भी प्रेरित कर सकेगा और संस्था को तरक्की की राह पर ले जा सकेगा। एक मजबूत लीडर ही अपने साथियों को सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकता है और कठिन परिस्थितियों में भी स्थिर रह सकता है।

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