पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बुधवार को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में पेपर लीक के आरोपों को अपने पूर्ववर्ती पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से जोड़ने की कोशिश की। 5 मई को, बिहार में आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू), जो पेपर लीक के आरोपों की जांच कर रही है, ने कहा है कि उसकी जांच से पेपर लीक होने का संकेत मिलता है। कथित लीक में शामिल एक गिरोह के सदस्यों के पटना के एक सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरने की खबरों के बीच सिन्हा ने कहा कि मैं जानकारी जुटा रहा हूं। एनएचएआई गेस्ट हाउस से जो लोग पकड़े गए हैं, उनका संबंध प्रीतम नामक व्यक्ति से है। लोग कहते हैं कि उसका संबंध पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से है।
विजय कुमार सिन्हा का आरोप
विजय कुमार सिन्हा ने आगे कहा कि हम पूरे मामले की जानकारी जुटा रहे हैं। चुनाव के कारण अभी तक पूरी जानकारी नहीं जुटा पाए थे। हम इसकी समीक्षा करेंगे और जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी…उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि कौन मंत्री और कौन लोग इसका (गेस्ट हाउस) इस्तेमाल कर रहे थे। मैंने अपने विभाग में चेतावनी जारी कर दी है और मैं भी कार्रवाई करूंगा और पता लगाऊंगा कि किसके कहने पर बुकिंग हुई…कार्रवाई होगी। यह बड़ा मामला है। हमने पहले भी कहा है कि राजद की मानसिकता अपराधियों को प्रशिक्षित करने, पालने-पोसने और प्रोत्साहित करने की है…यह उच्चस्तरीय जांच में स्पष्ट हो जाएगा।
आरजेडी का जवाब
विजय कुमार सिन्हा की प्रतिक्रिया पर आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि सबसे पहले, बिहार के डिप्टी सीएम सिन्हा को मीडिया की छिटपुट रिपोर्टों के आधार पर कोई गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए। आर्थिक अपराध इकाई अपनी जांच में जो पाती है, उसे ही मानना चाहिए। जहां तक NEET मामले के मुख्य आरोपी सिकंदर यदुवंशी के विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव के कर्मचारी से कथित संबंध का सवाल है। एनडीए को यह स्पष्ट करना चाहिए कि यदुवंशी को 2012 में जूनियर इंजीनियर की नौकरी कैसे मिली? और 2021 में दानापुर में पोस्टिंग के साथ उसे टाउन प्लानिंग विभाग में कैसे स्थानांतरित कर दिया गया? डिप्टी सीएम सिन्हा हमारे नेता पर आरोप लगा रहे हैं, ये बिल्कुल गलत है।
ईओयू कर रही मामले की जांच
बिहार ईओयू के एक विशेष जांच दल (एसआईटी), जिसने पिछले महीने पटना पुलिस से जांच का जिम्मा संभाला था, ने कहा है कि एक संगठित अंतरराज्यीय गिरोह के सदस्यों से कई उम्मीदवारों के एडमिट कार्ड, पोस्ट-डेटेड चेक और प्रमाण पत्र जब्त किए गए हैं। ईओयू के एक अधिकारी ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि इस मामले में अब तक गिरफ्तार किए गए 13 लोगों में से चार ऐसे उम्मीदवार हैं जिन्होंने NEET की परीक्षा दी थी। बाकी लोग उनके माता-पिता और संगठित गिरोह के सदस्य हैं, जिन्होंने कथित तौर पर रामकृष्ण नगर पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में एक स्कूल में परीक्षा से पहले 35 उम्मीदवारों को इकट्ठा किया और एक नकली परीक्षा आयोजित की। कथित तौर पर उन्हें वहां उत्तरों के साथ NEET का प्रश्न पत्र मिला था।
पूछताछ में बड़ा खुलासा, 14 करोड़ की डिलिंग
इस मामले में गिरफ्तार हुए सिकंदर प्रसाद यादवेंदु समेत 13 मुख्य आरोपितों से पूछताछ में यह भी स्पष्ट हुआ है कि पैसे सीधे या किसी एक व्यक्ति के माध्यम से मुख्य सेटर तक नहीं पहुंचे। बल्कि कई चैनलों के माध्यम से गए हैं, जिसमें रास्ते में हर किसी ने अपना-अपना कमीशन काटकर राशि मुख्य सेटर तक पहुंचाई गई है। अब तक की जांच में ठोस सबूत के तौर पर रामकृष्णा नगर वाले निजी स्कूल में रटवाए जा रहे करीब 40 छात्रों के बारे में ही सटीक जानकारी मिली है। यहां प्रत्येक छात्रों से औसतन 35 लाख रुपये के आसपास वसूली गई है। कुछ छात्रों ने ही पूरी राशि का भुगतान नहीं किया था। इस आधार पर 14 करोड़ की डिलिंग सिर्फ इसी स्थान पर हुई है।
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