यह कैसी लूट? 8 रुपये किलो का प्‍याज आपको 50 रुपये में मिल रहा, मंडी से रिटेल तक ऐसे बदल जाते हैं दाम…

What kind of loot is this? Onion worth 8 rupees per kg is available to you for 50 rupees, this is how the price changes from market to retail

नई दिल्‍ली: प्‍याज की जितनी कीमत आप दे रहे हैं असल में वो है नहीं। कीमतों में बड़ा खेल चल रहा है। मंडी और खुदरा में कीमतों में अंतर से इसे समझ सकते हैं। खुदरा बाजार में प्याज 40 से 50 रुपये किलो है। वहीं, थोक भाव लुढ़ककर करीब 8 रुपये प्रति किलो पर आ गया है। सिर्फ आप ही नहीं, इसकी कीमत किसान भी चुका रहे हैं। किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम नहीं मिल रहा है। इसके विरोध में बीते दिनों महाराष्ट्र के लासलगांव APMC में किसानों ने प्याज की नीलामी रोक दी। वे बेहतर दामों की मांग कर रहे हैं। मलाई बीच वाले खाने में लगे हैं।

नवंबर में मौसम की खराबी के चलते प्याज की कीमतें पांच साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थीं। हालांकि, अब इनमें काफी गिरावट आ गई है। गुरुवार को लासलगांव मंडी में औसत थोक भाव 8-16 रुपये प्रति किलो पर आ गया। यानी यह एक हफ्ते पहले के 36 रुपये प्रति किलो के भाव से आधे से ज्‍यादा कम हो गया है। बेहिसाब बारिश से खरीफ की फसल खराब होने और देरी से आने के कारण प्याज की कीमतें थोक में 60 रुपये किलो और खुदरा में 80 रुपये किलो के पार चली गई थीं।

बीच वालों ने कर द‍िया खेल
खेल यह हुआ कि थोक में तो कीमतें घट गईं। लेकिन, खुदरा में दुकानदारों ने कीमतों को जस का तस बनाए रखा। इससे हम और आप प्‍याज के ज्‍यादा दाम दे रहे हैं। अब घटते दाम टेंशन बन गए हैं।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस मामले में केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने की अपील की है। उन्होंने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से प्याज निर्यात पर लगाए गए 20 फीसदी शुल्क को हटाने का अनुरोध किया है। पवार का कहना है कि प्याज की बंपर पैदावार की वजह से किसान संकट में हैं। उन्हें एमएसपी भी नहीं मिल पा रहा है। इस कारण वे कम दामों पर प्याज बेचने को मजबूर हैं।

महाराष्ट्र की अलग-अलग मंडियों में लगभग 1500 गाड़ियां प्याज लेकर पहुंचीं। ताजा फसल की आवक से कीमतों में गिरावट आई है। APMC अधिकारियों ने बताया कि कीमतों में लगातार गिरावट से किसान परेशान हैं। किसानों की मांग है कि प्याज पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क हटाया जाए। साथ ही फसल पर 1000 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल की मदद दी जाए। गुरुवार को सुबह के सत्र में न्यूनतम दाम 800 रुपये क्विंटल, अधिकतम 2900 रुपये और औसत 1900 रुपये प्रति क्विंटल रहा।

मंडी में कीमत कैसे तय होती है?
इसमें पहला तरीका नीलामी का होता है। ज्‍यादातर मंडियों में प्याज की नीलामी के माध्यम से कीमत तय होती है। किसान अपनी उपज लाते हैं और व्यापारी सबसे अधिक कीमत देने वाले को बेचते हैं।

ठेके के जरिये भी मंडियों में कीमत तय होती है। कुछ मामलों में किसान और व्यापारी पहले से ही कीमत तय करके ठेका कर लेते हैं। इसके अलावा सरकार की कुछ एजेंसियां भी किसानों से प्याज खरीदती हैं और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचती हैं।

कैसे आप तक पहुंचते-पहुंचते बदल जाते हैं दाम?
मंडी से रिटेल तक प्याज के दामों में बदलाव कई कारणों से होता है। यह एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई मध्यस्थ शामिल होते हैं और कई कारक दामों को प्रभावित करते हैं।

मंडी में नीलामी
प्याज की खेती करने वाले किसान अपनी उपज मंडी में लाते हैं। मंडी में नीलामी के माध्यम से व्यापारी प्याज खरीदते हैं। नीलामी में कीमतें मांग और आपूर्ति के आधार पर तय होती हैं।

थोक व्यापारी
मंडी से प्याज को थोक व्यापारी खरीदते हैं। थोक व्यापारी प्याज को बड़े पैमाने पर खरीदते हैं और इसे छोटे व्यापारियों या खुदरा विक्रेताओं को बेचते हैं। थोक व्यापारी अपने मुनाफे के लिए कीमत में कुछ इजाफा करते हैं।

छोटे व्यापारी
थोक व्यापारी से प्याज को छोटे व्यापारी खरीदते हैं। छोटे व्यापारी प्याज को स्थानीय बाजारों में या खुदरा दुकानों को बेचते हैं। छोटे व्यापारी भी अपने मुनाफे के लिए कीमत में कुछ इजाफा करते हैं।

खुदरा विक्रेता
छोटे व्यापारियों से प्याज को खुदरा विक्रेता खरीदते हैं। खुदरा विक्रेता प्याज को अंतिम उपभोक्ता को बेचते हैं। खुदरा विक्रेता भी अपने मुनाफे के लिए कीमत में कुछ इजाफा करते हैं।

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