
संभल : संभल में जुमे की नमाज के बीच आज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 5 महत्वपूर्ण तीर्थों और 19 कुओं का निरीक्षण किया. बुधवार की सुबह जिला प्रशासन की मदद से यह इंस्पेक्शन हुआ. इसे पूरी तरह से मीडिया की मौजूदगी से दूर रखा गया, क्योंकि ASI ने प्रशासन से अनुरोध किया था कि इस सर्वे को किसी भी प्रकार के मीडिया कवरेज से बचाया जाए. इस दौरान पूरे संभल में सुरक्षा का बेहद कड़ा पहरा रहा.
दरअसल, यह निरीक्षण सुबह करीब 6 बजे शुरू हुआ और इसमें प्रमुख तीर्थ स्थलों जैसे कि भद्रकाश्रम, स्वर्गदीप, चक्रपाणि और प्राचीन तीर्थ श्मशान मंदिर शामिल थे. इसके अलावा 19 कुओं का भी ASI ने जायजा लिया. इन सभी स्थानों को पुरातात्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है और इन्हें संरक्षित करने की दिशा में यह निरीक्षण महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
ASI की टीम ने प्रशासन से विशेष अनुरोध किया था कि इस निरीक्षण के दौरान मीडिया को दूर रखा जाए. इसके चलते प्रशासन ने मीडिया को मौके से दूर रखा. माना जा रहा है कि सुरक्षा में किसी तरह की चूक या एएसआई के काम में रूकावट न हो, इसलिए ही ऐसा किया गया है.
इन 5 जगहों पर ASI टीम ने किया निरीक्षण
-भद्रकाश्रम
-स्वर्गदीप
-चक्रपाणि
-प्राचीन तीर्थ श्मशान मंदिर
-19 कूपों का हुआ निरीक्षण
इस बारे में संभल के डीएम डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने मीडिया को बताया कि एएसआई की टीम ने आज सुबह सर्वे किया, जो दोपहर 3:30 पर कंप्लीट हो गया. उन्होंने इसमें कुछ तीर्थों और कूपों का सर्वे किया, जिनमें भद्रकाश्रम, स्वर्गदीप, चक्रपाणी और प्राचीन तीर्थ श्मशान मंदिर समेत जो 19 कुएं शामिल हैं. उन्होंने बताया कि जो अभी नया मंदिर मिला है, उसका सर्वे भी उन्होंने किया है. हमने इन सभी जगहों की पैमाइश पहले ही कराकर रख ली थी, क्योंकि एएसआई की टीम ने इसके लिए हमसे कहा था, ताकि किसी प्रकार की देरी नहीं हो. उन्होंने बताया कि टीम आज रूकेगी, क्योकि उन्हें दूर जाना है. अभी मिलेंगे हम लोग टीम से. मीटिंग होगी उनसे. लगभग 8-10 घंटे तक यह सर्वे हुआ.
ASI द्वारा किए गए इस निरीक्षण का मुख्य मकसद संभल के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के स्थलों की स्थिति का मूल्यांकन करना था. कहा जा रहा है कि इस निरीक्षण के बाद इन स्थानों का संरक्षण और मरम्मत के लिए उचित कदम उठाया जा सकता है. ASI की 4 सदस्यीय टीम ने इन 5 तीर्थों और 19 कूपों की संरचनाओं का बारीकी से जायजा लिया. एएसआई की रिपोर्ट आने के बाद इन स्थलों पर मरम्मत, पुनर्निर्माण या संरक्षित करने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है.