उगते सूरज को अर्घ्य के साथ चैती छठ संपन्न, 36 घंटे के निर्जला व्रत के बाद व्रती ने किया पारण..

Chaiti Chhath 2025: बिहार में उगते सूर्य को अर्ध्य के साथ ही चैती छठ का समापन हो गया है। 36 घंटे के निर्जला उपवास के बाद आज व्रतियों ने पारण किया। सुबह 4 बजे से ही गंगा घाट पर छठ व्रतियों के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया। 1 अप्रैल से चैती छठ महापर्व की शुरुआत हुई। 2 अप्रैल को खरना और आज 3 अप्रैल को डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया गया। 4 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्ध्य देकर 4 दिन तक चलने वाले महापर्व का आज समापन हो गया।

छठ की महिमा

मान्यता के अनुसार सूर्य षष्ठी व्रत आरोग्य, सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी छठ व्रत किया था। उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। इस व्रत के करने से वो निरोग हो गए। संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है।

नहाय खाय क्या होता है?

इस दिन व्रती नदी या तालाब में जाकर स्नान करेंगी। ये खबर आप गज़ब वायरल में पढ़ रहे हैं। फिर शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं।इस दिन ख़ास रूप से कद्दू की सब्जी, चने की दाल, चावल बनाया जाता है।इस भोजन का स्वाद ही अलग रहता है।

खरना क्या है?

इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। शाम में सूर्य देव की पूजा होती है। इसमें गुड़ से बनी खीर, रोटी और केले का प्रसाद चढ़ाया जाता है। खरना के प्रसाद को महाप्रसाद कहा जाता है। खरना से ही 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अर्ध्य दिया जाता है। शाम में किसी नदी या तालाब में सूर्य देव की पूजा करके फल- फूल और ठेकुआ का प्रसाद चढ़ाया जाता है। चौथे और अंतिम दिन सुबह-सुबह व्रती भगवान भास्कर को देकर पर्व का समापन करती हैं। सबमें प्रसाद बांटा जाता है।

 

 

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