Gazab Viral, Digital Desk- (NHAI Rule) देश में नए हाईवे और एक्सप्रेसवे का निर्माण तेजी से हो रहा है, साथ ही टोल टैक्स भी बढ़ रहा है. कई लोग टोल बूथ पार करते समय शुल्क देने से बचना चाहते हैं. एनएचआई (NHAI) के अनुसार, कुछ विशेष परिस्थितियों में वाहन चालक बिना टोल टैक्स भरे आगे बढ़ सकते हैं.
एनएचएआई (NHAI) के मुताबिक, अगर टोल बूथ से वाहनों की लाइन 100 मीटर तक लंबी बन गई है तो गाड़ियों को वहां से बगैर भुगतान के निकाला जाएगा ताकि लाइन छोटी की जा सके.
एनएचएआई ने एक ट्वीट किया, जिसमें कहा गया कि टोल भुगतान के लिए अधिकतम 10 सेकंड का समय निर्धारित किया गया है. इसके साथ ही, पीक आवर्स के दौरान टोल (Toll) पर लंबाई 100 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए. इस व्यवस्था को लागू करने हेतु, प्रत्येक टोल लेन में बूथ से 100 मीटर की दूरी पर एक पीली पट्टी खींची जाती है, जैसे ही गाड़ियों की लाइन इस रेखा से बाहर निकलने लगती है टोल को फ्री (toll free) कर दिया जाता है. जैसे ही लाइन 100 मीटर के अंदर आ जाती है टोल टैक्स (toll tax) दोबारा वसूला जाने लगता है.
क्या है 60 किलोमीटर रूल-
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) ने बताया है कि फी रूल 2008 के अनुसार, किसी भी हाईवे पर दो टोल प्लाजा (toll plaza) के बीच का न्यूनतम अंतर 60 किलोमीटर होना चाहिए. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin gadkari) ने इस नियम को सही बताया और कहा कि उनका उद्देश्य है कि हाईवे पर 60 किलोमीटर के भीतर केवल एक ही टोल प्लाजा हो.
फिलहाल इनके बीच का अंतर कम हो सकता है. इसके पीछे मंत्रालय ने यह तर्क दिया है कि कई बार जगह की कमी, ट्रैफिक, कंजेशन आदि के कारण 60 किलोमीटर के दायरे में 2 टोल प्लाजा हो सकते हैं.
टोल टैक्स और रोड टैक्स में अंतर-
रोड टैक्स वाहन चालकों द्वारा आरटीओ (RTO) को भुगतान किया जाता है, जो राज्य के भीतर विभिन्न सड़कों के उपयोग के लिए होता है. इसके विपरीत, टोल टैक्स विशेष रूप से हाईवे और एक्सप्रेसवे (Expressway) जैसे खास सड़कों पर लिया जाता है. टोल टैक्स की राशि किसी एक राज्य सरकार को नहीं जाती, बल्कि इसे उस हाईवे (highway) के निर्माण करने वाली कंपनी या नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (National Highways Authority of India) द्वारा एकत्र किया जाता है.