कुरान की किस आयत का दिया गया हवाला, जिससे टली नर्स निमिषा प्रिया की फांसी?

केरल की निमिषा प्रिया को यमन में फांसी दी जाने वाली थी, लेकिन भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के हस्तक्षेप के बाद टाल दी गई. ग्रैंड मुफ्ती ने कुरान की एक आयत का हवाला देते हुए इस्लाम में माफी के अधिकार पर जोर दिया. चलिए बताते हैं कि वह कौन सी आयत है, जिसका ग्रैंड मुफ्ती ने हवाला दिया और इस आयत में क्या कहा गया है?

कुरान की किस आयत का दिया गया हवाला, जिससे टली नर्स निमिषा प्रिया की फांसी?

केरल की निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को यमन में फांसी दी जाने वाली थी. हालांकि एक हस्तक्षेप के बाद फांसी की सजा को टाल दिया गया. ये हस्तक्षेप भारत के वर्तमान ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार ने किया. उन्होंने इस्लाम में कानून अलग होने और माफ करने का अधिकार होने का कुरान की एक आयत का हवाला देते हुए विद्वानों से बात की और उनकी ये अपील रंग लाई.

ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार ने निमिषा प्रिया के परिवार की गरीबी और निमिषा की बेटी का हवाला देकर तलाल के भाई अब्देल फतह महदी से बात की और इस्लाम में माफी देने के अधिकार का हवाला दिया. उन्होंने कुरान की सूरह अल-बकरह की आयत नंबर 178 का हवाला दिया, जिसमें मौत के बदले सजा और माफ कर देने के सिद्धांत को समझाया गया है.

सूरह बकरह आयत-178 का हवाला

सूरह बकरह कुरान की सबसे लंबी सूरह है, जो कुरान के पहले और दूसरे में आती है. सूरह बकरह में 286 आयतें हैं. इन्हीं में से 178वीं आयत का हवाला ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार ने केरल की निमिषा प्रिया के फांसी के मामले में हस्तक्षेप करते हुए दिया और निमिषा प्रिया की सजा टल गई. ये है वह आयत…

(يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا كُتِبَ عَلَيْكُمُ الْقِصَاصُ فِي الْقَتْلَى ۖ الْحُرُّ بِالْحُرِّ وَالْعَبْدُ بِالْعَبْدِ وَالْأُنثَىٰ بِالْأُنثَىٰ ۚ فَمَنْ عُفِيَ لَهُ مِنْ أَخِيهِ شَيْءٌ فَاتِّبَاعٌ بِالْمَعْرُوفِ وَأَدَاءٌ إِلَيْهِ بِإِحْسَانٍ ۗ ذَٰلِكَ تَخْفِيفٌ مِّن رَّبِّكُمْ وَرَحْمَةٌ ۗ فَمَنِ اعْتَدَىٰ بَعْدَ ذَٰلِكَ فَلَهُ عَذَابٌ أَلِيمٌ)

“या ऐयुहल्लज़ीना आमनू, कुतिबा अलेकुमुल-क़िसासु फिल-क़तला अल-हुर्रु बिल-हुर्रि, वल-अब्दु बिल-अबदि, वल-उंसा बिल-उंसा फमन उ’फिय लहू मिन अखीहि शय्अुन, फत्तिबा’उन बिल-मअरूफि, वअदा’उन् इलैहि बिइह्सान ज़ालिका तख्फीफुम् मिर-रब्बिकुम् वरह्मत फमनि’तदा बअदा ज़ालिका फलहू अज़ाबुन अलीम”

Aayat

इस आयत में अल्लाह ने फरमाया, ऐ मोमिनों (अल्लाह पर भरोसा रखने वालों) जो लोग नाहक मार डाले जाएं. यानी किसी को बिना किसी खता और जुर्म के नायजय तरीके से कत्ल कर दिया जाए. उसके बदले में तुम्हें जान के बदले जान लेने का हुक्म दिया जाता है. ‘आजाद के बदले आजाद और ग़ुलाम के बदले ग़ुलाम, औरत के बदले औरत’ यानी अगर किसी ने जानबूझकर किसी को कत्ल कर दिया है तो मृतक के परिवार वालों को भी कातिल को मौत की सजा की मांग करने का हक है. इसका मतलब है जो कातिल है. उसे ही सजा दी जानी चाहिए, चाहे वह आजाद हो, गुलाम हो या फिर औरत हो.

माफ करने और मुआवजे के लिए

आयत में ये भी कहा गया है मृतक के परिवार वाले कातिल को माफ भी कर सकता है और बदला लेने से मना करके ‘दियत’ यानी ब्लड मनी (खून की कीमत) मुआवजा की रकम ले सकता है. वहीं मृतक के परिवार वालों को बदला लेने का भी हक है. वह मौत के बदले कातिल की मौत की मांग कर सकता है, जिसे किसासा कहा जाता है. साथ ही, माफ करने के बाद ज्यादती करने वाले पर अजाब भी बताया गया है.

कौन हैं ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम?

ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार निमिषा के लिए फरिश्ता बनकर सामने आए. उन्होंने यमन की सरकार से अपील की और कुरान की आयत हवाला देते हुए. माफी के अधिकार की बात कही, जिसके बाद उनकी सजा को टाल दिया गया. ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार भारत के वर्तमान और 10वें ग्रैंड मुफ्ती हैं. वह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं.

Grand Mufti Sheikh Abubakr (1)

इसके साथ ही वह ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलमा के महासचिव और जामिया मरकज के चांसलर भी हैं. उनका जन्म केरल के कोझिकोड में 22 मार्च 1931 को हुआ था. निमिषा प्रिया के मामले में लगभग ये तय हो चुका था कि 16 जुलाई को फांसी होगी. ऐसे में बहुत कम उम्मीद थी कि प्रिया की फांसी किसी तरह टाली जा सकती है. ऐसे में केरल के ग्रैंड मुफ्ती की कोशिश रंग लाई.

पीड़ित परिवार के साथ चल रही बातचीत

ग्रैंड मुफ़्ती ने यमन के इस्लामी विद्वानों से हस्तक्षेप करने के लिए संपर्क किया था. उन विद्वानों ने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर उनसे बातचीत की. यमन के विद्वानों की तरफ से कहा कि वे जो कर सकते हैं, करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अब जब फांसी की तारीख टल गई है, तो इससे पीड़ित परिवार के साथ चल रही बातचीत को आगे बढ़ाने का एक रास्ता मिल गया है.

सना की सेंट्रल जेल में बंद है निमिषा

निमिषा इस समय यमन की राजधानी सना की सेंट्रल जेल में बंद हैं. निमिषा पर उनके बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या करने का आरोप है. निमिषा पर आरोप है कि उन्होंने तलाल की हत्या करने के बाद उनके शव के टुकड़े कर पानी की टंकी में फेंक दिए थे. ये मामला साल 2017 का है. इसके बाद निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई. हालांकि निमिषा का दावा है कि तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया था और उनके साथ मानसिक शारीरिक शोषण किया था.

Nimisha

इस्लाम में कत्ल की सजा मौत

इस्लाम में कत्ल की सजा मौत है. इस मौत की सजा को ‘क़िसास’ कहा जाता है. सजा देने का हक सिर्फ कोर्ट और सरकार को है. किसी व्यक्ति, परिवार या संगठन को नहीं है. वहीं कातिल को माफ करने का हक मृतक के वारिसों को है. वह चाहें तो सजा की मांग करते हैं और चाहें तो कातिल को ब्लड मनी ले कर माफ कर दें. इसके साथ मृतक के परिवार वाले कातिल को बिना कोई अमाउंट लिए भी माफ कर सकते हैं.

Quran

ब्लड मनी के तौर पर मुआवजा

ब्लड मनी एक रकम होती है, जो पीड़ित परिवार को मुआवजे के तौर पर दी जाती है. लेकिन ये रकम कितनी होती है. ये हर देश में वहां के हालात के मुताबिक सरकार की ओर से तय की जाती है यानी ये सरकार तय करती है कि पीड़ित परिवार को मुआवजे की कितनी रकम दी जाएगी. ये मुल्क की सरकार तय करेगी. अब जो अमाउंट मुआवजे के तौर पर तय किया गया है. पीड़ित परिवार को उससे ज्यादा मांगने का हक नहीं होता. ऐसे में पीड़ित परिवार तय किया गया अमाउंट या फिर उससे कम भी ले सकता है.

इसके साथ ही यहां सरकार की जिम्मेदारी भी होती है कि वह आश्वस्त करें कि कातिल या उसके परिवार वालों की तरफ से मृतक के परिवार पर किसी भी तरह का कोई दबाव न डाला जाए. वहीं मुआवजे की राशि मिलने के बाद मृतक के परिवार वालों के वकील को कोर्ट में ये जानकारी देनी होती है कि उन्होंने ब्लड मनी यानी मुआवजे की रकम ले ली है. इसके बाद कोर्ट मुजरिम को रिहा करने का आर्डर जारी कर देती है.

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