नौकरियों में वेतन बढ़ोतरी पर संकट
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण भारत में इस साल बहुराष्ट्रीय कंपनियां कम सैलरी पर युवाओं को नौकरी पर देने की प्लानिंग कर रही है. यह स्थिति ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) सहित विभिन्न क्षेत्रों में दिख रही है, जो आमतौर पर भारत में अधिक वेतन देने के लिए मानी जाती हैं, लेकिन साल 2025 में यह कंपनियां बेरोजगार युवाओं को कम वेतन देकर नौकरी कराने की तैयारी कर रही है.
आइटी क्षेत्रों में डिमांड अधिक नहीं होने के कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने कम वेतन वृद्धि के साथ काम करने की योजना बनाई है. विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश क्षेत्रों का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं है. साथ ही वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं और मंदी की आशंका बनी हुई है. ऐसे में वेतन वृद्धि कंपनियों पर बुरा प्रभाव डाल सकती है. कंपनियां बचत की रणनीतियों पर काम करना चाह रही है.
8.5-8.7% तक वेतन बढ़ोतरी रहने का अनुमान
भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों में औसत वेतन वृद्धि लगभग 8.8% के आसपास रहती है, जबकि पिछले साल यही वृद्धि 9% थी, लेकिन वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं को ध्यान में रखकर अधिकांश विदेशी कंपनियों ने कम वेतन देने का फैसला किया है. सर्वे में पाया गया कि इस क्षेत्र में वेतन बढ़ोतरी लगभग 0.2-0.3 प्रतिशत से घटकर लगभग 8.5-8.7% तक रह गई है, जो वित्त वर्ष 24 की तुलना में 0.1-1.1 प्रतिशत कम है. डेलोइट इंडिया के पार्टनर आनंदोरूप घोष ने कहा, “वेतन वृद्धि का अनुमान वित्त वर्ष 24 की तुलना में कम है और इसका मुख्य कारण यह है कि अधिकांश क्षेत्रों का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं है.”
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जी.सी.सी इस बार 9.1% की उच्चतम वृद्धि का अनुमान लगा रहा है, पिछले वर्ष से 0.1 प्रतिशत की कम है.GCC और अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियां बाजार का लाभ उठाकर वेतन बिलों को नियंत्रित करने की तैयारी में हैं. हालांकि, ऑटोमोटिव, ऊर्जा, निर्माण सामग्री और इंजीनियरिंग सहित उद्योगों में अनुमानित वेतन वृद्धि लगभग 8.8-9.2% रहने का अनुमान जताया जा रहा है.
आईटी उत्पाद कंपनियों में वेतन वृद्धि 9% तक रहने का अनुमान
बुहत सारी कंपनियों में छंटनी और भर्ती प्रक्रिया में सुस्ती देखने को मिल रही है. खासकर इस साल आईटी क्षेत्रों में भर्ती प्रक्रिया धीमी रहने का अनुमान है. आईटी उत्पाद कंपनियों में वेतन वृद्धि 10% से घटकर 9% तक रह गई है. वहीं, आईटी सेवा क्षेत्र में वृद्धि 8.5-8.7% तक सीमित हो गई है, जो पिछले साल की तुलना में 0.2-0.3% कम है. नई तकनीकों और वैश्विक बाजार में अनिश्चितताओं के कारण आईटी क्षेत्र में निवेश और नौकरियों में रुचि घट रही है.