भारत से 3500 किमी दूर है ‘राम का शहर’, 675 साल पुराना है इतिहास

भारत से 3500 किमी दूर है 'राम का शहर', 675 साल पुराना है इतिहास

अयोध्या से 3500 किमी दूर है एक और अयोध्या (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर की पहली वर्षगांठ बनाई जा रही है. यह उत्सव 11 जनवरी से शुरू है, जोकि 13 जनवरी तक चलेगा. लेकिन क्या आपको यह पता है कि भारत के अयोध्या से हजारों किलोमीटर दूर एक शहर है, जहां के राजा अपने नाम में राम लगाते हैं. इस शहर का नाम अयुथ्या है, जोकि भारत से लगभग 3500 किलोमीटर दूर है. यह शहर थाइलैंड में है.

भारत में श्रीराम को भगवान माना जाता है. वहीं, थाइलैंड के चक्री राजवंश के राजा अपने नाम में ‘राम’ जोड़ते हैं. हालांकि, ऐसा माना जाता है कि यह परंपरा यूरोपियन कल्चर से प्रभावित है. क्योंकि इस वंश के छठे राजा वजिरावुध ने इंग्लैंड में पढ़ाई की. उन्होंने वहां देखा कि ब्रिटेन के शासक अपने नाम में अंक जोड़ते हैं.

उपाधि में राम का नाम

वर्तमान में थाइलैंड के राजा की उपाधि राम दशम है. राम दशम को ‘फुटबॉल प्रिंस’ के नाम से भी जाना जाता है और वह साइक्लिंग से जुड़े आयोजनों के लिए भी प्रसिद्ध हैं. राम नवम (भूमिबोल अदुल्यादेज) के निधन के बाद वजिरालोंगकोर्न यानी राम दशम का राज्याभिषेक 2019 में हुआ था. 2020 में उनकी संपत्ति 43 अरब डॉलर मानी गई, जिसके चलते उन्हें दुनिया के सबसे अमीर शासक के रूप में पहचाना गया.

अयोध्या और अयुथ्या का नाम

यह नाम समान होने का कारण संस्कृत शब्दों का थाई भाषा में रूपांतरण है. विशेषज्ञों के अनुसार, रामायण का प्रभाव थाइलैंड में भी था, जिसे यहां के लोग ‘रामाकिएन’ कहते हैं. इसीलिए यहां के शासकों ने अपने शहर का नाम शुभ मानते हुए अयुथ्या रखा था.

अयुथ्या का ऐतिहासिक महत्व

थाइलैंड का अयुथ्या शहर 1350 में बसा था और यह किसी समय एक विशाल साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था. थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक से लगभग 70 किमी की दूरी पर स्थित अयुथ्या शहर में आज भी विशाल खंडहर देखे जा सकते हैं. अयुथ्या का नाम भारत के अयोध्या जैसा ही लगता है और यह तीन नदियों से घिरा है, जबकि भारत का अयोध्या शहर सरयू नदी के किनारे बसा है. और अयुथ्या में ब्रह्मा, विष्णु और शिव के मंदिर भी स्थित हैं.

अयुथ्या शहर एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक और व्यापारिक केंद्र था. 1767 में बर्मा (अब म्यांमार) ने अयुथ्या पर हमला कर इसे बर्बाद कर दिया, उसके बाद थाइलैंड के शासकों ने इसे फिर से बसाने की कोशिश नहीं की और बैंकॉक को नई राजधानी बना दिया.

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