आजकल लोग पेट्रोल पंप पर ईंधन भरवाने से पहले मशीन में ‘जीरो’ देखना नहीं भूलते। लेकिन क्या सिर्फ जीरो देखने से ही आप ठगी से बच सकते हैं? शायद नहीं! पेट्रोल पंप पर होने वाली गड़बड़ियां सिर्फ कम या ज्यादा मात्रा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ईंधन की गुणवत्ता और उसकी डेंसिटी से जुड़ी ठगी भी आम होती जा रही है। यदि आप सतर्क नहीं हैं, तो आपको न केवल घटिया क्वालिटी का पेट्रोल-डीजल मिलेगा, बल्कि आपके वाहन को भी नुकसान हो सकता है और आपका खर्च भी बढ़ सकता है।
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खराब क्वालिटी का पेट्रोल-डीजल कैसे नुकसान पहुंचाता है?
ईंधन की शुद्धता आपके वाहन की परफॉर्मेंस पर सीधा असर डालती है। यदि आपको मिलावटी या खराब क्वालिटी का पेट्रोल-डीजल भरवाया जाता है, तो इसका इंजन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इंजन जल्दी गर्म होने लगता है, माइलेज घट जाता है और लंबी अवधि में इंजन को भारी नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, यदि ईंधन सही डेंसिटी में नहीं है, तो उसका दहन सही से नहीं होता, जिससे कार्बन डिपॉजिट बढ़ते हैं और इंजन के पार्ट्स जल्दी खराब हो सकते हैं।
पेट्रोल-डीजल की डेंसिटी कैसे चेक करें?
ईंधन की शुद्धता जांचने का एक तरीका उसकी डेंसिटी को मापना है। सरकार ने फ्यूल डेंसिटी चेक करने के लिए कुछ मानक तय किए हैं, जिनकी मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि ईंधन मिलावटी है या नहीं। पेट्रोल पंपों पर फ्यूल डेंसिटी चेक करने के लिए मशीन की डिस्प्ले और बिल पर यह जानकारी दर्ज होती है। अगर आपको उस पर संदेह है, तो आप डेंसिटी जार की मदद से भी इसे चेक कर सकते हैं।
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फ्यूल डेंसिटी के सरकारी मानक
सरकार ने पेट्रोल-डीजल की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए इसकी डेंसिटी के कुछ तय मानक बनाए हैं:
- पेट्रोल की डेंसिटी: 730 से 800 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (Kg/m³) होनी चाहिए।
- डीजल की डेंसिटी: 830 से 900 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (Kg/m³) होनी चाहिए।
हालांकि, तापमान में बदलाव के कारण डेंसिटी में थोड़ा उतार-चढ़ाव हो सकता है। यदि ईंधन की डेंसिटी इन तय सीमाओं से बाहर पाई जाती है, तो यह मिलावटी या खराब क्वालिटी का हो सकता है।
पेट्रोल पंप पर ठगी से बचने के लिए क्या करें?
- हमेशा जीरो देखने के साथ-साथ डेंसिटी भी चेक करें – मशीन की डिस्प्ले और बिल पर दर्ज डेंसिटी को क्रॉस-चेक करें।
- डेंसिटी जार टेस्ट करवाएं – यदि आपको संदेह हो, तो पेट्रोल पंप पर मौजूद डेंसिटी जार से इसकी शुद्धता जांचें।
- बिना कारण ज्यादा झाग वाला डीजल न लें – ज्यादा झाग वाले डीजल में मिलावट की संभावना अधिक होती है।
- शिकायत दर्ज करें – यदि आपको पेट्रोल-डीजल की क्वालिटी में कोई संदेह हो, तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत इसकी शिकायत कर सकते हैं।