
Gujarat News: गुजरात से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. सिर्फ चार दिन चली शादी और तलाक तक नहीं हुआ था. फिर भी 14 साल बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि हर महीने पत्नी को 10,000 रुपये देने होंगे. इस फैसले से जूनागढ़ में एक रिटायर्ड बैंक अधिकारी को ऐसा झटका लगा, जिसे वह अपनी जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे. यह अनोखा फैसला जूनागढ़ की फैमिली कोर्ट ने हाल ही में सुनाया है.
दरअसल, बात 5 अप्रैल 2011 की है. उस समय 53 साल के विधुर बैंक अधिकारी ने दूसरी शादी के लिए अखबार में विज्ञापन दिया था. इसी विज्ञापन के जवाब में 37 साल की तलाकशुदा महिला से उनकी मुलाकात हुई. इसके बाद, दोनों ने जूनागढ़ के गायत्री मंदिर में हिंदू रीति-रिवाज से शादी कर ली. महिला की पहली शादी से 13 साल की बेटी भी थी.
पति ने पत्नी का फोन उठाना किया बंद
शादी के तुरंत बाद दुल्हन ससुराल गई लेकिन वहां सिर्फ 3-4 दिन ही रह पाई. यह इसलिएल हुआ क्योंकि पति के परिवार वालों ने शादी को लेकर झगड़े शुरू कर दिए. इससे परेशान होकर महिला अपनी मां के पास लौट आई. हैरानी करने वाली बात यह कि पति कभी उसे वापस लेने नहीं गया और उसका फोन भी उठाना बंद कर दिया.
इसके साथ हीं, पति बाद में यह दावा करने लगा कि शादी हुई ही नहीं थी. उसका कहना था कि मंदिर में सिर्फ सगाई हुई थी. महिला ने खुद और अपनी नाबालिग बेटी के लिए CrPC की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की याचिका दायर की. 2013 में जूनागढ़ की फैमिली कोर्ट ने पति के दावे को सही मानते हुए याचिका खारिज कर दी.
नाबालिग बेटी के लिए कोई भरण-पोषण नहीं
महिला ने हार नहीं मानी. उसने गुजरात हाईकोर्ट में अपील की. हाईकोर्ट ने निचली कोर्ट का फैसला पलट दिया और जून 2025 में मामले को दोबारा सुनवाई के लिए वापस भेज दिया. ये खबर आप गज़ब वायरल में पढ़ रहे हैं। हाल ही में हुई सुनवाई में फैमिली कोर्ट ने माना कि दोनों की वैध शादी हुई थी. कोर्ट ने कहा कि अगर पति के पास पत्नी को साथ न रखने का कोई सही वजह नहीं है, तो इसे उपेक्षा करना माना जाएगा.
कोर्ट ने कहा कि यहां पत्नी को से छोड़ा गया है. अब रिटायर्ड बैंक अधिकारी को पत्नी को हर महीने 10,000 रुपये भरण-पोषण के लिए देने होंगे. हालांकि कोर्ट ने नाबालिग बेटी के लिए कोई भरण-पोषण नहीं दिया क्योंकि वह पति की जैविक संतान नहीं है. 14 साल पुरानी शादी, सिर्फ चार दिन का साथ और अब आजीवन भरण-पोषण. कानून ने फिर साबित कर दिया कि शादी को नकारना इतना आसान नहीं है.





