
Viral Video: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले से एक दिल छू लेने वाली कहानी सामने आई है. दीपावली के दिन केसरा गांव के किसान बजरंग राम भगत अपनी बेटी चंपा भगत का सपना पूरा करने स्कूटी खरीदने शो रूम पहुंचे. खास बात यह रही कि किसान ने स्कूटी की कीमत चुकाने के लिए 10-10 रुपए के सिक्के जुटाए थे.
बजरंग राम भगत ने करीब 6 महीने तक लगातार 10-10 के सिक्के जमा किए और दीपावली के दिन बेटी के साथ शो रूम पहुंच गए. उनका यह जज्बा देखकर हर कोई भावुक हो गया.
सिक्के लेकर शोरूम पहुंचे किसान
रविवार को किसान बजरंग राम भगत अपने पूरे परिवार के साथ जशपुर के एक होंडा बाइक शोरूम पहुंचे. वे बोरे में सिक्के लेकर अंदर आए और मुस्कुराते हुए बोले, ‘हम स्कूटी खरीदना चाहते हैं. इसके लिए सिक्के लेकर आए हैं, क्या हमें स्कूटी मिलेगी?’ उनकी यह बात सुनकर पहले तो शोरूम स्टाफ हैरान रह गया, लेकिन जब उन्होंने बोरा खोला तो उसमें सिर्फ 10-10 रुपए के सिक्के थे. शोरूम के मैनेजर आनंद गुप्ता को जब इस अनोखी घटना की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत किसान परिवार को सम्मान के साथ अंदर बुलाया. उन्होंने कहा, ‘किसान परिवार का सपना पूरा करने में हमें भी खुशी होगी.’
इसके बाद शोरूम स्टाफ ने सिक्कों की गिनती शुरू की. सिक्के इतने ज्यादा थे कि उन्हें गिनने में करीब एक घंटे से ज्यादा का समय लग गया. कुल मिलाकर 40 हजार रुपए से अधिक के सिक्के गिने गए, जबकि बाकी रकम किसान ने नोटों में दी.
स्कूटी के साथ मिला मिक्सर ग्राइंडर का गिफ्ट
रकम गिनने के बाद शोरूम संचालक आनंद गुप्ता ने होंडा एक्टिवा स्कूटी की चाबी किसान परिवार को सौंपी. इसके साथ ही उन्होंने एक स्क्रैच एंड विन कार्ड भी दिया. जब चंपा भगत ने कार्ड स्क्रैच किया, तो उन्हें मिक्सर ग्राइंडर का उपहार मिला. परिवार की खुशी उस समय देखने लायक थी. बेटी चंपा अपनी नई स्कूटी देखकर फूले नहीं समा रही थी. पूरा परिवार मुस्कुराते हुए स्कूटी और गिफ्ट के साथ घर लौटा.
वायरल हुआ किसान परिवार का वीडियो
किसान परिवार के स्कूटी खरीदने का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया. वीडियो में देखा जा सकता है कि बजरंग राम भगत और उनका परिवार बोरे में सिक्के लाकर शोरूम के बाहर रखता है, फिर स्टाफ उनके साथ हंसते हुए सिक्के गिनता है. लोग इस वीडियो को देखकर भावुक हो गए और किसान परिवार की मेहनत की सराहना करने लगे. एक यूजर ने लिखा, ‘आज के दौर में ऐसे पिता बहुत कम देखने को मिलते हैं, जिन्होंने बेटी की खुशी के लिए इतनी मेहनत की.’





