20 ट्रकों में दस्तावेज, ₹9,50,00,00,000 और देश का सबसे बड़ा… जानिए, ‘चारा घोटाले’ की पूरी कहानी

20 ट्रकों में दस्तावेज, ₹9,50,00,00,000 और देश का सबसे बड़ा… जानिए, ‘चारा घोटाले’ की पूरी कहानी

950 Crore Chara Ghotala: देश में घोटालों की कहानियां तो आपने खूब सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं देश के सबसे चर्चित और अजब-गजब घोटाले के बारे में. इस घोटाले का नाम था- ‘चारा घोटाला’. ‘चारा घोटाला’ के नाम से मशहूर यह मामला 950 करोड़ रुपये के गबन का था, जिसने एक मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन ली और बिहार की राजनीति का रुख ही बदल दिया. तो चलिए आपको बताते हैं बिहार और देश के सबसे चर्चित घोटाले की कहानी.

1970 के दशक बात है, बिहार के पशुपालन विभाग में सरकारी खर्च के नाम पर झूठे बिल बनना शुरू हुए. शुरुआत में तो छोटे स्तर की हेराफेरी थी, लेकिन धीरे-धीरे इसमें अफसरों, सप्लायर्स और नेताओं की मिलीभगत बढ़ती चली गई. सरकार अपने खजाने से पशुओं के चारे, दवाओं और उपकरणों के नाम पर पैसा देती. लेकिन असल में इन पैसों का इस्तेमाल कभी इन कामों में किया ही नहीं गया.

चारा घोटाला क्या है…
बिहार के स्थानीय पत्रकार रवि एस. झा ने पहली बार इस घोटाले को राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया. उनकी रिपोर्ट में यह साफ था कि सिर्फ अधिकारी ही नहीं, बल्कि नेताओं तक की इसमें संलिप्तता है. इस खुलासे ने सारे घोटाले की पोल खोलकर रख दी. उन्होंने दिखाया कि कैसे सरकारें और ठेकेदार मिलकर बिहार के संसाधनों की लूट कर रहे थे.

जनता के दबाव और अदालत की निगरानी में मार्च 1996 में पटना हाईकोर्ट ने केस की इस केस की जांच CBI को सौंपी. जांच शुरू होते ही कई बड़े नाम सामने आए. मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और कई IAS अधिकारी. धीरे-धीरे घोटाले का दायरा 50 से ज्यादा केसों तक फैल गया. जांच चलती रही मामले दर्ज होते रहे.

950 करोड़ का घोटाला
सीबीआई ने 10 मई 1997 को राज्यपाल से लालू प्रसाद यादव पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी. बिहार के तत्कालीन राज्यपाल ए.आर. किदवई ने सबूतों को देखकर इस बात की इजाजत दे दी. इसी बीच लालू के करीबी अधिकारी और मंत्री भी जांच के घेरे में आ गए. मामला और बिगड़ता गया. लालू ने कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई, जो खारिज कर दी गई.

अब जैसे ही गिरफ्तारी की नौबत आई, लालू प्रसाद यादव ने 5 जुलाई 1997 को अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) बनाई और जनता दल से अलग हो गए. 25 जुलाई को उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दिया और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का नया मुख्यमंत्री बना दिया.

यहां से लालू का बुरा वक्त शुरू हो चुका था. साल 1997 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और उन्हें रांची जेल में रखा गया. इसके बाद 1998 और 2000 में उन्हें फिर अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया गया और 20 ट्रकों में लाकर अदालत के सामने दस्तावेज पेश किए गए थे.

देश के सबसे बड़े घोटाले की कहानी
साल 2000 के बाद से चारा घोटाले से जुड़े 53 मामलों में सुनवाई शुरू हुई. मई 2013 तक 44 केसों का निपटारा हो चुका था. करीब 500 से ज्यादा आरोपी दोषी पाए गए. लालू प्रसाद यादव को कुल 14 साल की सजा हुई. फिर 6 जनवरी 2018 को साढ़े तीन साल की कैद के साथ-साथ उन पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया गया.

लालू की कुर्सी क्यों गई थी
चारा घोटाला मामले में सीबीआई ने कुल 66 मामले दर्ज किए. इनमें से 53 झारखंड और बाकी बिहार में ट्रांसफर हुए. चारा घोटाले के कुल 5 मामले हैं. पांच मामलों में लालू यादव को दोषी ठहराया गया है और उन्हें सजा मिली है. छठे मामले में अब भी सुनवाई हो रही है. यह ऐसा मामला है, जिसके चलते लालू की कुर्सी चली गई थी. उनके सीएम रहते ही यह घोटाला हुआ था.

चाईबासा कोषागार केस: 37.70 करोड़ रुपये का गबन और लालू यादव को 5 साल की सजा.
देवघर कोषागार केस: 89.27 लाख रुपये का गबन और लालू यादव को 3.5 साल की सजा. फाइन- 10 लाख.
चाईबासा दूसरा केस: 33.13 करोड़ रुपए का गबन और लालू यादव को 5 साल की सजा.
दुमका कोषागार केस: 3.13 करोड़ रुपये का गबन और लालू यादव को 14 साल की सजा (7+7 साल). फाइन- 60 लाख.
डोरंडा कोषागार केस: 139.35 करोड़ रुपये का गबन और लालू यादव को 5 साल सजा. फाइन- 60 लाख.
रांची कोषागार (छठा मामला): 1.84 करोड़ रुपये का गबन. अभी सुनवाई जारी है.

लालू प्रसाद यादव पर क्या केस चल रहा है
अगर इन सभी मामलों के गबन को जोड़ दिया जाए तो लालू यादव की देनदारी करीब 304 करोड़ रुपए होगी.  इसका मतलब है कि अगर बिहार सरकार कोर्ट में अपना दावा मजबूती से रखती है और कोर्ट पैसा जमा करने का आदेश देता है तो लालू यादव को इतने पैसे सरकारी खजाने में देने होंगे.

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