हमारी ‘रेड लाइन’ पार मत करना वरना… UAE ने इजरायल को दिखाई आंखें, आखिर किस बात पर भड़के नाहयान?!


UAE Reaction to Israel West Bank Acquisition Plan: इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष के बीच, खाड़ी देशों की राजनीति एक नए दौर में प्रवेश करती दिख रही है. संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने बुधवार को यह स्पष्ट कर दिया कि वेस्ट बैंक का किसी भी तरह का अधिग्रहण उसकी नज़र में ‘रेड लाइन’ पार करने जैसा होगा, यानी इस सीमा को पार करना उसे किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं होगा.

इजरायल के किस कदम से भड़का UAE?
इन तमाम कूटनीतिक प्रयासों के बीच, इजरायल की संसद ने वेस्ट बैंक के अधिग्रहण से जुड़ा एक नया विधेयक आगे बढ़ाया है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह विधेयक पारित हुआ, तो पश्चिम एशिया में तनाव की नई लहर उठ सकती है. यह कदम पहले से ही नाजुक हालात को और जटिल बना देगा.

‘समझौते की दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत’

सहयोगी वेबसाइट WION की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल के इसी एक्शन पर अब यूएई की ओर से सख्त प्रतिक्रिया दी है. UAE के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल-नहयान के कूटनीतिक सलाहकार अनवर गर्गाश ने रायटर्स नेक्स्ट गल्फ समिट में बोलते हुए कहा कि इजरायल और फिलीस्तीन के बीच लंबे समय से चला आ रहा संघर्ष अब ‘अधिकतमवादी दृष्टिकोण’ से नहीं सुलझ सकता. उन्होंने दोनों पक्षों से आग्रह किया कि अब समझौते की दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत है. गर्गाश ने समिट में कहा, क्या हम अब भी यह मानते रहेंगे कि फिलीस्तीनी मुद्दा किसी तरह खुद-ब-खुद समाप्त हो जाएगा? इजरायली दक्षिणपंथी वर्ग को समझना होगा कि यह समस्या केवल ताकत से नहीं, बल्कि संवाद से सुलझेगी.

सीधे टकराव से कुछ हासिल नहीं हुआ- UAE

गर्गाश ने यह भी माना कि सीधी टकराव की राह ने न तो इजरायल को सुरक्षा दी है और न ही फिलीस्तीन को राज्य. अब ज़रूरत है कि एक व्यावहारिक संतुलन खोजा जाए, जहां इजरायल की सुरक्षा सुनिश्चित हो, लेकिन साथ ही एक व्यवहार्य फिलीस्तीनी राज्य का अस्तित्व भी कायम रहे.

उन्होंने जोर देकर कहा कि UAE किसी भी प्रकार के फिलीस्तीनी इलाकों के अधिग्रहण के खिलाफ ‘बहुत स्पष्ट और अडिग’ रुख रखता है. उन्होंने बताया कि इजरायल के साथ सामान्यीकरण की प्रक्रिया ने दरअसल UAE को फिलिस्तीनी मुद्दे पर और मजबूती से बात रखने का अवसर दिया है. इजरायल से संवाद यूएई को इस विषय पर प्रभावी दबाव डालने की क्षमता देता है. गर्गाश ने यह भी जोड़ा कि फिलिस्तीनी अथॉरिटी की भूमिका अब भी केंद्रीय है, लेकिन उन्होंने अफसोस जताया कि सुधारों की मांग उठाने में कई बार UAE अकेली आवाज़ रहा है.

‘अमेरिका की सक्रिय भूमिका बेहद जरूरी’

हालिया घटनाओं का ज़िक्र करते हुए गर्गाश ने कहा कि इजरायल के क़तर पर हमले ने खाड़ी सुरक्षा के नजरिए को पूरी तरह बदल दिया है. अब यह साफ है कि किसी एक देश की सुरक्षा अलग नहीं मानी जा सकती. खाड़ी की सुरक्षा आपस में जुड़ी हुई है. उन्होंने अमेरिका की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि वॉशिंगटन अब भी मध्य पूर्व की स्थिरता के केंद्र में है. गर्गाश ने याद दिलाया कि कतर में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा मौजूद है, इसलिए उसकी सक्रिय भागीदारी पूरे क्षेत्र की शांति के लिए अहम है.

अबू धाबी और काहिरा की पहल

इस बीच, अबू धाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल-नहयान ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी से बातचीत की. दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि संघर्ष विराम बनाए रखने और स्थायी शांति की दिशा में सभी पक्षों को साथ आना होगा. क्राउन प्रिंस ने कहा कि UAE सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करने और तनाव कम करने के नए रास्ते खोजने के लिए तैयार है. बताते चलें कि UAE का यह बयान उस वक्त आया है जब पूरा क्षेत्र अस्थिरता से जूझ रहा है. ऐसे में अबू धाबी का ‘संतुलन और संवाद’ का संदेश यह दर्शाता है कि गल्फ देश अब केवल दर्शक नहीं, बल्कि शांति प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाने वाले खिलाड़ी बनना चाहते हैं.

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