
CM Mamata Banerjee Reaction on SIR News: बिहार में मतदाता सूची का सफलतापूर्वक स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) करने के बाद चुनाव आयोग ने जब से पूरे देश में यह प्रक्रिया शुरू करने का ऐलान किया है, तब से विपक्षी दलों की सांसें फूली हुई हैं. वे इसमें आम मतदाताओं के वोट काटने का आरोप लगाते हुए एसआईआर पर रोक की मांग कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी गुरुवार को इस मुद्दे पर मोदी सरकार पर तीखा बोला. उन्होंने कहा कि SIR के नाम पर पर्दे के पीछे से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) जैसी प्रक्रिया लागू करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मतदाताओं के नाम हटाने की साजिश की गई तो जनता सड़कों पर उतरकर जवाब देगी.
‘SIR के नाम पर वे NRC लागू करना चाहते हैं’
ममता बनर्जी ने आरोप लगाया, ‘SIR के नाम पर वे NRC लागू करना चाहते हैं. वे मतदाता सूची से असली लोगों के नाम हटाना चाहते हैं. मैं सभी को भरोसा दिलाती हूं कि कोई भी असली मतदाता सूची से बाहर नहीं किया जाएगा. बीजेपी को आग से खेलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, वरना जनता का गुस्सा झेलना पड़ेगा.’ मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उन्होंने सुना है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने पार्टी मीटिंग में कहा है कि कई नाम हटाए जाएंगे. ममता ने सवाल उठाया – ‘वे कौन होते हैं नाम हटाने वाले? आज उनकी सरकार है, कल नहीं होगी. अगर वे एजेंसियों के जरिये हमें डराने की सोच रहे हैं, तो हम तैयार हैं.’
अभियान पर विपक्ष क्यों है आग-बबूला?
बताते चलें कि चुनाव आयोग ने हाल ही में देशभर में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की प्रक्रिया यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) शुरू करने के निर्देश दिए हैं. इस प्रक्रिया में मृत, दोहराए गए या फर्जी नामों को हटाने और नए मतदाताओं को जोड़ने का काम किया जाता है. लेकिन विपक्ष का आरोप है कि इसी प्रक्रिया के जरिए कुछ समूहों के नाम जानबूझकर हटाए जा रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में बिहार में SIR के दौरान लाखों नाम हटाए जाने का आरोप लगाया गया था. विपक्ष ने आरोप लगाया था कि यह अभियान निष्पक्ष नहीं रहा और कई कमजोर समुदायों, खासकर अल्पसंख्यक इलाकों के मतदाताओं के नाम सूचियों से गायब पाए गए. अब वही आशंका बंगाल में भी जताई जा रही है.
बंगाल के लोग ऐसा नहीं होने देंगे- ममता
ममता बनर्जी ने इस आशंका को देखते हुए कहा कि बंगाल में किसी भी कीमत पर यह नहीं होने देंगे. उन्होंने केंद्र पर राजनीतिक बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बंगाल के लोग बीजेपी पर भरोसा नहीं करते. वे जानते हैं कि यह राज्य उनकी नीतियों को स्वीकार नहीं करेगा. राज्य की सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार का कहना है कि यह कदम एक राजनीतिक हथकंडा है, जिसके जरिये मतदाता सूची से कुछ खास वर्गों के लोगों को बाहर किया जा सकता है. वहीं, बीजेपी का कहना है कि SIR एक नियमित प्रक्रिया है और विपक्ष बेवजह डर फैलाने की कोशिश कर रहा है.
NRC की पुरानी बहस से लोगों में डर
एक्सपर्टों का भी कहना है कि SIR का नागरिकता से कोई संबंध नहीं है. यह केवल मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया है. हालांकि राजनीतिक माहौल और NRC की पुरानी बहस के कारण कई लोगों में डर है कि कहीं यह मताधिकार छीनने का औजार न बन जाए. असम में NRC के अनुभव ने इस विवाद को और बढ़ाया है. जब वहां बड़ी संख्या में लोगों के नाम अंतिम नागरिक रजिस्टर से बाहर रह गए थे, जिससे नागरिकता को लेकर भारी असमंजस पैदा हुआ. अब जब SIR बंगाल में शुरू हो रहा है, तो लोग उसी डर को दोबारा महसूस कर रहे हैं.
बंगाल बिहार नहीं है- ममता बनर्जी
ममता बनर्जी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि बीजेपी को यह समझ लेना चाहिए कि बंगाल बिहार नहीं है. यहां जनता किसी भी अन्याय के खिलाफ खड़ी हो जाएगी. जो लोग दूसरों को डराने की कोशिश कर रहे हैं, वे खुद डर जाएंगे जब जनता जवाब देगी. वहीं इस पूरे विवाद पर चुनाव आयोग की ओर से कहा गया है कि SIR केवल तकनीकी सुधार प्रक्रिया है और सभी नामों की जांच पारदर्शी तरीके से होगी. आयोग का दावा है कि किसी भी योग्य मतदाता का नाम बिना ठोस कारण के नहीं हटाया जाएगा. लेकिन बंगाल की राजनीति में यह आश्वासन पर्याप्त नहीं लग रहा.
फिलहाल राज्य में राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ रहा है. ममता बनर्जी लगातार इसे जनता के अधिकारों की लड़ाई के रूप में पेश कर रही हैं, जबकि बीजेपी इसे भ्रम और डर की राजनीति बता रही है. आने वाले महीनों में SIR की प्रक्रिया किस दिशा में जाती है, यह बंगाल के चुनावी परिदृश्य को गहराई से प्रभावित कर सकता है.