
businessman Sachin Grover Suicide Note: क्या आप भी लोन लेते हैं? तो ये खबर जरूर पढें. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में कर्ज और धोखे ने एक पूरे परिवार को खत्म कर दिया. यहां बुधवार सुबह बिजनेसमैन सचिन ग्रोवर और उनकी पत्नी शिवांगी ने 4 साल के बेटे फतेह को जहर देकर मार डाला. फिर फंदे से लटककर खुद की भी जिंदगी खत्म कर ली. मरने से पहले शिवांगी ने अपनी मां को WhatsApp पर सुसाइड नोट भेजा था. पुलिस ने उस सुसाइड नोट को घर से भी बरामद किया है. इसमें सचिन ने आपबीती बयां की है कि कैसे लोन और अपनों से मिले धोखे के कारण वो खौफनाक कदम उठाने जा रहे हैं.
रोजा थाना क्षेत्र की पॉश कॉलोनी दुर्गा एन्क्लेव में रहने वाले सचिन ग्रोवर ने सुसाइड नोट में लिखा- जब यह लेटर किसी को मिलेगा, तब तक मैं, मेरी बीवी शिवांगी और हमारा बेटा फतेह इस दुनिया में नहीं रहेंगे. मेरा सब कुछ खत्म हो चुका होगा. मेरी जिंदगी तभी से बर्बाद हुई, जब मैंने बरेली में बिजनेस करने की सोची. उव वक्त लॉकडाउन था. और बिजनेस के चलते मेरे ऊपर बहुत कर्ज हो गया. मेरी फैक्ट्री, मेरी ससुराल का घर और उनके गहने सब गिरवी था.
ग्रोवर ने लिखा- उस वक्त मेरे सास-ससुर, साले और मेरी पत्नी शिवांगी ने मुझे फुल सपोर्ट किया. चाहे पैसों का सपोर्ट हो या मॉरल सपोर्ट. उन्होंने मेरा साथ दिया. मगर मेरे घर से मुझो कभी कोई सपोर्ट नहीं मिला. न दोनों भाईयों से, न मां से और न ही मेरे दोस्तों से.
‘2 हजार रुपये रोज देता था ब्याज के’
सचिन ने सुसाइड नोट में लिखा- घर को बचाने के लिए मैंने बैंक से कर्ज लिया था. यह कर्ज अदा करने के लिए फिर मैंने अपने दोस्त से 2 लाख रुपए उधार लिए थे. उसके बदले हर दिन मुझे 2 हजार रुपए बतौर ब्याज देने पड़ते थे. मेरा भाई गौरव और मेरे चाचा पवन ने मेरे साथ नहीं खड़े हुए. गौरव ने ऐसा प्रेशर बनाया कि घर बिक जाए. ये घर हमारे पापा ने बनवाया था. घर हमारी मां के नाम था. अगर वो घर बिक जाता, तो हमें कुछ नहीं मिलता. क्योंकि मेरी मां भी उन्हीं की तरफ थीं. इस घर के लिए मुझे बैंक से लोन लेना पड़ा. उस लोन को चुकाने के लिए मुझे हर महीने 1 लाख 20 हजार रुपए बतौर किश्त देने पड़ते थे. यह कर्ज मुझे अपनी सास के नाम पर लेना पड़ा था. दरअसल, मेरा सिबिल स्कोर खराब था, जिस कारण मुझे लोन नहीं मिल पा रहा था.
सुसाइड नोट में आगे सचिन ने लिखा- मेरे भाई ने घर में हिस्सा लिया, साथ ही अपने हिस्से के पैसे भी ले लिए. मेरी आर्थिक स्थिति खराब हो गई, लेकिन किसी ने मेरा साथ नहीं दिया. मुझे बार-बार अपमानित किया गया और धोखा मिला. यही नहीं मेरी बीवी शिवांगी को भी ये सभी मिलकर परेशान करते थे.
30 प्रतिशत ब्याज पर पैसे देता दोस्त
सचिन ने दोस्तों पर भी धोखे का आरोप लगाते हुए लिखा- मेरा एक दोस्त है शैंकी आनंद. मैंने उससे भी लोन लिया था. वो मुझसे 30% ब्याज पर पैसे वसूलता था. जब भी जरूरत पड़ती थी, तो वो उस वक्त अपने दोस्तों से पैसे दिलवा देता था. मगर बदले में भारी ब्याज भी वसूलता था. मैं उसका सारा पैसा चुका देता था. फिर भी वो मुझे हर कहीं बदनाम करता था. मेरी और मेरे परिवार की मौत में उसी का सबसे बड़ा हाथ है. मेरे उसके साथ अच्छे संबंध थे, लेकिन दोस्त होकर भी उसने मुझे धोखा दिया.
‘अब टूट चुका हूं, हिम्मत नहीं बची मुझमें’
ग्रोवर ने आगे लिखा- मेरे दोस्त शैंकी और उसके साथियों ने मुझे समाज में खूब बदनाम किया. मेरी पत्नी की भी छवि खराब की. पिछले 6 महीने लगातार बैंक का लोन चुका रहा हूं. कर्ज खत्म होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. मैंने कभी किसी का पैसा नहीं हड़पा. जिससे भी पैसे लिए, ब्याज के साथ वापस लौटाए. मगर फिर भी मुझे हर कहीं से बस धोखा ही मिला. अब मैं टूट चुका हूं. हिम्मत ही नहीं बची है मुझमें. बहुत कोशिश की, मगर अब सब बर्दाश्त से बाहर है.
शराब के बिजनेस से पैसा कमाया मगर…
उन्होंने लिखा- मैंने रामनगर मोहल्ले के विक्की बग्गा से भी निवेश की बात कहकर कुछ पैसे लिए थे. मगर मैं उन पैसों से निवेश नहीं कर पाया. मैंने ये गलती सबके सामने मानी भी थी. विक्की से मैंने 2-3 महीने का समय मांगा था. सचिन ने लिखा- मैंने शराब का बिजनेस भी किया था. उससे मुझे अच्छा पैसा मिला, लेकिन मैं पकड़ा भी गया. मैंने सबके सामने गलती मानी और पैसे लौटाने का समय मांगा. लेकिन, इन लोगों ने मुझे पीटा.
फिर मेरी सास को फंसाने की धमकियां देने लगे. टेंशन में मुझे हार्ट अटैक आ गया. मैं इन लोगों से टाइम मांगता रहा. मगर किसी ने भी मुझे टाइम नहीं दिया. मेरा दोस्त शैंकी सबको मेरे खिलाफ भड़काता रहा. जो भी लाभ मुझे शराब के बिजनेस से हुआ था, उसे ले लोग खा गए. मतलब इन लोगों को मैंने कुछ भी नहीं देना था अब. फिर भी ये लोग मेंटली टॉर्चर देते रहे.
बड़े भाई ने दी हमें सबसे ज्यादा तकलीफ
सचिन ने लिखा- घर वाले भी कोई कम नहीं थे. सपोर्ट करना तो दूर, मेरे चाचा और मझले भाई ने ही मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ दी. वो मेरे साथ सिर्फ हमदर्दी का दिखावा करते थे. मेरी परेशानियों को सभी को बताकर मुझे बदनाम करते थे. पापा ने मेरे लिए सब कुछ बेच दिया. मगर रिश्तेदारों ने ही मेरी हालत खराब की. परिवार वाले मेरी पत्नी को भी तंग करते थे. जबकि, उसका तो कोई कसूर था ही नहीं.
बेरोजगार भाई को काम पर मालिक बनाकर रखा
सचिन ने लिखा- मैं अपनी मां को सुख नहीं दे सका. मैंने अपने सबसे बड़े भाई रोहित को बेरोजगार होने पर बिना शर्त अपने साथ काम में लगाया. जैसा भी था, उनको मालिक बनाकर रखा. मेरे मझले भाई गौरव ने मुझे सबसे ज्यादा परेशान किया. मैं ही देवता बनकर घर में घूमता रहा और बाहर से कर्ज लेकर घर-दुकान चलाता रहा. रोहित तुम किराए वाली दुकान खाली कर दो और मंदिर वाली दुकान से गुजरा करना. किसी को व्यापार का पैसा मत देना. तुम खुद खुश रहना और मम्मी को भी खुश रखना.
मेरे मरने के बाद सब कुछ तुम्हारा है रोहित
सचिन ने लिखा- अब ये सब कर रहा हूं, हो सके तो मुझे माफ कर देना. मैंने अपने साथ शिवांगी की लाइफ भी बर्बाद कर दी. हमारे कर्ज अनोखे नहीं थे, जो सब घाव बनाकर हमारा जीवन कष्ट वाला बना दिया. मेरे मरने के बाद घर बेच कर बैंक का सैटलमेंट कर देना. अगर कुछ पैसा बचता है तो वह तुम्हारा है रोहित. कार, स्कूटी, मोबाइल, इंश्योरेंस सब कुछ तुम्हारा है.