
उत्तर प्रदेश के साढ़े तीन करोड़ उपभोक्ताओं को दिसंबर माह में जोरदार झटका लगने वाला है. क्योंकि इस महीने उन्हें अतिरिक्त बिजली बिल का भुगतान करना पड़ेगा. उत्तर प्रदेश पाॅवर कॉरपोरेशन लिमिटेड की तरफ से जारी नए आदेश के अनुसार दिसंबर में उपभोक्ताओं से अब तक का सबसे अधिक ईंधन अधिभार वसूला जाएगा. सितंबर के ईंधन लागत अंतर को समायोजित करते हुए 5.56% का ईंधन अधिभार लगाया गया है. सिर्फ दिसंबर माह में ही पावर कॉरपोरेशन लगभग 264 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली करेगा.
51000 करोड़ के सरप्लस बिजली कंपनियों के पास
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के मुताबिक प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर इस वर्ष ही लगभग 18 हजार 592 करोड़ रुपये का सरप्लस बन रहा है. इससे पहले का 33 हजार 122 करोड़ रुपये का सरप्लस पहले से मौजूद है. कुल मिलाकर उपभोक्ताओं का 51 हजार करोड़ रुपये से अधिक का सरप्लस बिजली कंपनियों के पास है. ये खबर आप गज़ब वायरल में पढ़ रहे हैं। इसके बावजूद उपभोक्ताओं से ईंधन अधिभार की वसूली करना गलत और उपभोक्ता हितों के विपरीत है. नियमानुसार ईंधन अधिभार उसी स्थिति में उपभोक्ताओं से लिया जाना चाहिए, जब बिजली कंपनियों को अतिरिक्त बोझ उठाना पड़े.
यूजर्स पर बढ़ रहा है बोझ
जब उपभोक्ताओं का इतना बड़ा सरप्लस पहले से उपलब्ध है तो ईंधन अधिभार को शून्य किया जाना चाहिए या फिर सरप्लस राशि से समायोजित किया जाना चाहिए. ट्रांसमिशन में लागू किए गए डिमांड बेस्ड टैरिफ को लागू करते समय यह दावा किया गया था कि इससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा, लेकिन इसके उलट उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ता जा रहा है.
बिजली बिल दर बढ़ाने का प्रस्ताव हुआ था नामंजूर
उपभोक्ता परिषद जल्द ही इस पूरे मामले को लेकर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग से औपचारिक तौर पर मुलाकात कर पुनर्विचार की मांग करेगा. बता दें कि हाल ही में यूपी में बिजली बिल दर को बढ़ाने के लिए यूपीपीसीएल के प्रस्ताव को भी नामंजूर किया गया था. योगी सरकार ने सूबे की जनता को इस फैसले से बड़ी राहत देने का प्रयास किया. यूपीपीसीएल का कहना है कि विभाग हजारों करोड़ रुपये के घाटे में है.




