पीएम मोदी ने सम्मेलन को वर्चुअली किया संबोधित: ‘आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति का मुख्य स्तंभ’!


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मलयेशिया में आयोजित 22वें आसियान शिखर सम्मेलन 2025 को वर्चुअली संबोधित किया है। पीएम ने कहा- इस वर्ष आसियान शिखर सम्मेलन का विषय ‘समावेशीपन और स्थिरता’ है। यह विषय हमारे साझा प्रयासों में स्पष्ट रूप से दिखती है- चाहे वह डिजिटल समावेशन हो या वर्तमान चुनौतियों के बीच खाद्य सुरक्षा और लचीली आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करना।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आसियान शिखर सम्मेलन में वर्चुअली हिस्सा लिया। इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आसियान के देश साझा मूल्यों की डोर से बंधे हुए हैं। 21वीं सदी आसियान देशों की सदी है। बता दें कि आसियान की यह बैठक मलयेशिया में हो रही है।

पीएम मोदी ने मलयेशियाई पीएम को दी बधाई
शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मलयेशियाई प्रधानमंत्री और मेरे मित्र अनवर इब्राहिम आपने मुझे आसियान परिवार में शामिल होने का अवसर दिया, इसके लिए मैं बहुत खुश हूं। मैं आपको इस सफल शिखर सम्मेलन के लिए बधाई देता हूं। पीएम ने कहा, समावेशीपन और स्थिरता इस वर्ष के आसियान शिखर सम्मेलन के विषय हैं और यह विषय हमारे साझा प्रयासों को दर्शाता है। चाहे वह डिजिटल समावेशन हो, खाद्य सुरक्षा हो, या इस अशांत वैश्विक समय में लचीली आपूर्ति श्रृंखलाएं हों। हम साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत के देश समन्वयक की भूमि का कुशलता से निभाने पर फिलीपींस के राष्ट्रपति मार्कोस का धन्यवाद करता हूं।’

पीएम ने थाईलैंड की राजमाता के निधन पर जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा, ‘थाईलैंड की राजमाता के निधन पर मैं सभी भारतवासियों की ओर से थाईलैंड के राज परिवार और जनता के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।’

‘आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति का मुख्य स्तंभ’
पीएम मोदी ने इस दौरान कहा, ‘भारत और आसियान मिलकर विश्व की लगभग एक-चौथाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं। हम न केवल भूगोल साझा करते हैं, बल्कि गहरे ऐतिहासिक संबंधों और साझे मूल्य के जोड़ से जुड़े हुए हैं। हम वैश्विक दक्षिण का हिस्सा हैं। हमारे बीच न केवल व्यापारिक संबंध हैं, बल्कि सांस्कृतिक संबंध भी हैं। आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति का मुख्य स्तंभ है। भारत ने हमेशा आसियान की केंद्रीयता और हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर आसियान के दृष्टिकोण का समर्थन किया है। अनिश्चितता के इस दौर में भारत-आसियान व्यापक रणनीतिक साझेदारी निरंतर मजबूत हुई है। हमारी मजबूत साझेदारी वैश्विक स्थिरता और विकास का आधार बनकर उभर रही है।’

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