
देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सख्त कानून बनने के बावजूद, महिलाओं पर अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. मध्य प्रदेश के जबलपुर से सामने आई एक घटना ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर महिलाओं को कब तक घरेलू हिंसा और मानसिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ेगा.
दरअसल, यह पूरी घटना माढ़ोताल थाना क्षेत्र के रैंगवां गांव की है जहां 37 वर्षीय शिल्पी तिवारी ने माढ़ोताल थाना पहुचकर अपने पति अरविंद तिवारी, जेठ आशुतोष तिवारी और जेठानी शांति बाई के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. शिल्पी तिवारी ने पुलिस को बताया कि उनकी पहली शादी बढ़ेयाखेड़ा पाटन निवासी महेंद्र तिवारी से हुई थी. लेकिन करीब छह साल पहले उनके पति की मृत्यु हो गई. पहली शादी से उनका 15 वर्षीय एक बेटा है. पति की मौत के बाद उन्होंने जुलाई 2025 में अरविंद तिवारी से दूसरी शादी की.
ससुराल वाले देते पहते पति की मौत का ताना
शिकायत में पीड़िता ने बताया कि ससुराल वाले अक्सर उसे पहले पति की मौत का ताना देते थे. दीपावली की दोपहर जब घर में विवाद हुआ तो पति अरविंद ने झगड़े के दौरान गर्म प्रेस से शिल्पी को जला दिया. इतना ही नहीं आरोप है कि जेठ आशुतोष और जेठानी शांति बाई ने पति को उकसाया और बाद में तीनों ने मिलकर शिल्पी के साथ मारपीट भी की. माढ़ोताल थाना प्रभारी नीलेश दोहरे ने बताया कि पीड़िता की शिकायत पर तीनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है.
जब तक समाज की सोच नहीं बदलेगी तब तक…
यह घटना न केवल जबलपुर बल्कि पूरे देश के समाजिक ढांचे पर प्रश्नचिह्न लगाती है. प्रताड़ना शब्द सिर्फ कानूनी शब्दावली नहीं है, बल्कि यह उन असंख्य महिलाओं की पीड़ा का प्रतीक है, जो रोज-रोज अपमान, हिंसा और तानों का सामना करती हैं. चाहे कानून कितना भी कठोर क्यों न हो, जब तक समाज की सोच नहीं बदलेगी और महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति सशक्त नहीं होंगी, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी. शिल्पी तिवारी का मामला यह याद दिलाता है कि घरेलू हिंसा की जड़ें मानसिक प्रताड़ना से शुरू होती हैं, और समय रहते अगर उसका विरोध न किया जाए तो यह शारीरिक हिंसा में बदल जाती है.