
प्रेम कहानियां हमेशा दिल छू लेती हैं, चाहे वो इंसानों की हों या जानवरों की. सोशल मीडिया पर एक ऐसी ही वायरल स्टोरी फिर से ट्रेंड कर रही है. जापान की दो छिपकलियों की लैला-मजनू वाली प्रेम कथा. इसमें एक नर छिपकली 10 साल तक दीवार में कील से फंसा रहा. लेकिन इसके बाद भी वो जिंदा था. आखिर कैसे?
प्रचलित कहानी के मुताबिक़, मादा ने उसे रोजाना खाना खिलाकर जिंदा रखा था. यह स्टोरी इतनी इमोशनल है कि लाखों लोग शेयर कर रहे हैं, लेकिन असल में यह सच्चाई से कोसों दूर एक पुरानी अफवाह पर आधारित है. कई बार कुछ ऐसी कहानियां दुनिया में मशहूर हो जाती हैं जिसका सच से कोई लेना देना नहीं होता. लेकिन ये इतनी इमोशनल होती है कि लोग इसे सच मान लेते हैं और इसकी प्रेरणा देने लगते हैं. ऐसी कहानियां एक पीढ़ी से दूसरी तक चलती जाती है.
कुछ ऐसी है कहानी
वायरल कहानी का प्लॉट कुछ यूं है: जापान के एक शख्स (जिसका नाम अक्सर मिस्टर होंडा बताया जाता है) अपने घर की रेनोवेशन करवा रहे थे. जापानी घरों में लकड़ी की दीवारों के बीच खाली स्पेस होता है. दीवार तोड़ते ही उन्हें एक नर छिपकली दिखी, जिसकी पूंछ या पैर में कील ठुकी हुई थी. कील घर बनते समय 10 साल पहले ठोकी गई थी! छिपकली जिंदा थी, लेकिन हिल-डुल नहीं सकती थी. शख्स हैरान हो गया कि इतने सालों में यह कैसे जिंदा रही. तभी एक मादा छिपकली मुंह में कीड़े-मकोड़े लेकर आई और फंसी छिपकली को खिला दिया. स्टोरी कहती है कि मादा ने 10 साल तक यह किया, बिना थके, बिना हार मानें. यह देखकर शख्स भावुक हो गया और स्टोरी इंसानी रिश्तों की मिसाल बन गई.
लोगों का दिल छू गई स्टोरी
यह स्टोरी 2009-2010 से सोशल मीडिया पर घूम रही है. CiteHR, LinkedIn और YouTube पर इसके वीडियो-ब्लॉग्स हैं, जहां इसे ‘ट्रू स्टोरी’ बताया जाता है. Hoaxes and Urban Legends साइट्स जैसे joewein.net पर इसे फेक करार दिया गया है. यह एक चेन ईमेल और फॉरवर्ड मैसेज से शुरू हुई अफवाह है, जो 2011 से ब्लॉग्स पर चल रही है. साइंस इसे सपोर्ट नहीं करता. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जापानी घरेलू छिपकलियां (जैसे Eumeces japonicus या ‘टोकेज’) छोटी होती हैं, जिनकी लाइफस्पैन 3-5 साल होती है. 10 साल तक कील में फंसी रहना नामुमकिन है. भूख, प्यास, इन्फेक्शन या स्टार्वेशन से वो वैसे ही मर जाती.





