
Cough Syrup Death: मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ सिरप के कारण बच्चों की मौत का मामला अब बेहद गंभीर मोड़ पर आ गया है. तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट की जांच रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि सिरप का निर्माण फार्मास्यूटिकल ग्रेड के बजाय नॉन-फार्मास्यूटिकल ग्रेड (औद्योगिक गुणवत्ता वाले) रसायनों से किया गया था, जो बच्चों के लिए एक धीमा जहर था.जांच में सबसे बड़ी बात यह सामने आई कि सिरप बनाने वाली कंपनी ने 100 किलो प्रोपीलीन ग्लायकोल की खरीद की थी, जिसका कोई बिल या आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं मिला. इस रसायन को भी सिरप में मिलाने की आशंका जताई जा रही है.
बच्चों की मौत के मामले में बड़ा खुलासा
दरअसल, Coldrif Syrup से हुई बच्चों की मौत के मामले में तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. सिरप फार्मास्यूटिकल ग्रेड केमिकल से नहीं, बल्कि नॉन-फार्मास्यूटिकल (इंडस्ट्रियल) ग्रेड प्रोपलीन ग्लायकोल से तैयार किया गया था. जांच में सामने आया कि कंपनी ने 100 किलो यह जहरीला केमिकल खरीदा पर उसका कोई बिल या स्टॉक रिकॉर्ड मौजूद नहीं है. आशंका है कि यही रसायन सिरप में मिलाया गया था, जिससे बच्चों में टॉक्सिक इफेक्ट हुआ और किडनी, लिवर व ब्रेन फेलियर के कारण मौतें हुईं.
कहां गया 100KG जहरीला केमिकल
जांच में सबसे अहम बात यह सामने आई कि सिरप बनाने वाली कंपनी ने 100 किलो प्रोपिलीन ग्लाइकॉल खरीदा था, जिसका कोई बिल या आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं मिला. मध्य प्रदेश सरकार ने अब कोल्ड्रिफ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया है और उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि 100 किलो ज़हरीला कैमिकल कहां गया?
स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही
बता दें कि इस मामले ने मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही को भी उजागर किया है. छिंदवाड़ा और बेतूल में लगातार बच्चों की मौत की खबरें आने के बावजूद विभाग ने सैंपल कलेक्शन को आपात (इमरजेंसी) स्थिति नहीं माना. रिपोर्ट के अनुसार 29 सितंबर को लिए गए सैंपल सरकारी रजिस्ट्री पोस्ट से भोपाल भेजे गए थे, जिसमें तीन दिन लग गए. इसी बीच तमिलनाडु सरकार ने अपनी जांच पूरी कर ली और सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया. लेकिन तब तक कई बच्चों की जान चली गई थी.